Tuesday, January 28, 2014

एक लाइक तो बनता है न जी ( नव भारत में प्रकाशित)



 सुनीता शानू

ज्यादा मत सोचिए। कोई लड़की या लड़के की फोटो को शादी के लिए लाइक करने की बात नहीं हो रही है। यहां सवाल बस एक लाइक का है। लाइक बोले तो- अंगेजी का ये लाइक चेहरे की किताब पर पसंद का एक चटका लगाना है- कि फलां की तस्वीर खूबसूरत है, तो फलां ने एक शेर लिख डाला है और चाहता है कि आप जरा लाइक का चटका लगा दें। ज्यादा नहीं, बस एक छोटी सी ख्वाहिश ही तो करता है हर फेसबुकिया कि आप आएं और एक लाइक का चटका लगाएं। सुबह शर्मा जी प्रोफाइल पर एक तस्वीर लगा आए थे। तब से बीस बार कंप्यूटर खोल कर देख चुके हैं कि किसी ने लाइक किया कि नहीं। अब सारे घर वाले तो लाइक कर ही चुके हैं दूसरा न करे तो क्या किया जाए?

वैसे एक लाइक में जाता क्या है, कर ही दो आप भी। कौन आप शादी के लिए पसंद कर रहे हो। जरा सा माउस घुमाया, क्लिक किया- हो गया लाइक। सारे दोस्तों को फोन करने पूछ चुके हैं, लाइक किया कि नहीं। यार एक लाइक का सवाल है बस। सोशल मीडिया की मानें तो 4.5 अरब लोग फेसबुक पर लाइक का चटका लगाते हैं। औसतन एक व्यक्ति 20 मिनट तक फेसबुक पर रहता है। तो क्या पांच हजार फेसबुकिया फ्रेंड्स में से पचास से भी लाइक की उम्मीद न की जाए। अरे, लोग तो किसी के बाप के मरने की खबर पर भी ऐसे लाइक का चटका लगाते हैं कि तेरा बाप मरा तो मरा। सामने वाला भी सोचता रह जाता है कि इसे मेरे बाप के मरने की खबर भी पसंद आ गई, कमाल है!

कितनी अजीब सी बात है दोस्तो, ये लाइक का चटका एक पल में बता देता है कि आप किसी को कितना पसंद करते हैं, जब आप किसी की हर बात पर चटका लगाते हैं। देखा जाए तो आपका कुछ खर्च भी नहीं हो रहा। वो कहते हैं न 'हींग लगी न फिटकरी रंग भी चोखो आवै।' किसी के मन को शांति मिलती है, कोई ये सोच-सोच कर खुश है कि इतने लोग उसे पसंद कर रहे हैं। और ये आप के लिए भी सही है। वैसे भी जब खाली बैठे हों तो करना ही क्या होगा। एक तो लॉगिन करो। दूसरे की प्रोफाइल देखो, इतना टाइम खोटा करो तो कम से कम सामने वाले को चटका लगा के बता भी तो कि देख आज मैं आया हूं कल यही चटका लगाने तुझे भी आना है। इस धंधे में बेइमानी बर्दाश्त नहीं होती दोस्तो। उसूलन तू मेरी पीठ खुजला मैं तेरी खुजलाऊं।

कुछ लोगों को तो इस लाइक का ऐसा बुखार होता है कि महिला हो या पुरुष, अपनी जवानी के टाइम की ऐसी तस्वीर चस्पा कर लेते हैं कि खुद घर वाले गच्चा खा जाएं। एक महिला काफी समय से अपने बचपन की तस्वीर लगाए थी। उसकी लिस्ट में दुनिया भर के स्कूल के बच्चे शामिल हो गए। एक बच्चा तो उसके चक्कर में ही पड़ गया। और कमेंट करने लगा-साड़ी के फॉल सा मैच किया रे...। बस एक लाइक के चक्कर में बालक पागल हुआ जा रहा था और दादी मन ही मन बोल रही थी-मुए मै तेरी दादी हूं, नासपिटे फेसबुक पर ये काम करता है। अब बताओ बच्चे को इस चेहरे में दादी दिखाई कैसे दे! वसीम वरेलवी लिखते हैं :

अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाएं कैसे 
 तेरी मर्जी के मुताबिक नजर आएं कैसे।

बार - बार लाइक करने पर भी जब कोई लाइक न करे तो आदमी विक्षिप्त सा हो जाता है। इसी पागलपन के दौरे में वो नई पोस्ट लिखता है - मैं ऐसे लोगों को अपनी प्रोफाइल से डिलीट कर रहा हूं जो संवेदनशील नहीं हैं। अब ये भी कोई बात हुई , बार - बार एक ही बात सुनते आए हैं कि पुलिस ऎसे इलाकों में कर्फ्यू लगा देती है जो संवेदनशील होते हैं। फेसबुक पर कब कर्फ्यू लग जाए मालूम नहीं।

इंट्रो : एक लाइक में जाता क्या है , कर ही दो आप भी। कौन सा आप शादी के लिए पसंद कर रहे हो ! जरा सा माउस घुमाया , क्लिक किया - हो गया लाइक।


5 comments:

  1. बहुत बढ़िया लेख

    एल लाइक जहां उत्साह बढ़ता है वही बहुत बहुत से लोग जब बिना पढे लाइक करते हैं तो उनकी मानसिकता का भी पता चल जाता है

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  2. AGAR EK DIN KE LIYE FB PE CORFUE LAG HI JAAYE TOH KYA HOGA .. AUR AGAR FB HI NAA RAHE TOH KYA HOGA PROFILE PICS OR STATUS UPDATES KA :p

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  3. बहुत बढ़िया व्यंग्य ...सच यह एक बुखार है जो मस्तिष्क ज्वर सा खतरनाक हो रहा है

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  4. बहुत सटीक व्यंग.

    रामराम.

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