Friday, July 31, 2015

बाढ़ की सम्भावनायें सामनें हैं...

                             


  बाढ़ की सम्भावनायें सामनें हैं/ और नदिया के किनारे घर बने हैं... आप सोच रहे होंगे कि उस शख्स को तो फिर डूब ही जाना पड़ेगा।  लेकिन नहीं ऎसा नहीं है, आप अपने घर की दीवारे वाटर प्रूफ़ बनाईये, बाहर कुछ नाव बाँधकर रखिये, कुछ टायर ट्यूब वगैरह का भी इंतजाम करके रखिये क्योंकि आज बचने के लिये तिनकों का सहारा तलाश करना भी बेवकूफ़ी है, अरे भई जिसको हवा तक उड़ा दे वो आपको क्या बचा पायेगा। बल्कि गरियाने लगेगा कि खुद तो डूबे सनम हमें भी ले डूबे?
यदि आपने अपने चारों तरफ़ जानबूझकर दोस्तों, शुभचिंतको के रूप में कंटीले झाड़ ही उगा लिये हैं तो ये समस्या भी आपकी अपनी है सरकार की नहीं, अब सम्मान या अपमान के लिये कृपया सरकार को न गरियायें।  आपको अपनी नाक इतनी दुरुस्त रखनी ही होगी कि कहीं जरा जलने की बू आने लगे तो तुरन्त सीज़ फ़ायर का इस्तेमाल करें, या हो सके तो कूड़ा-करकट डाल कर उस आग को बुझाने का प्रयत्न करें।
 माँ हमेशा समझाती भी थी कि दौड़ में सारे एक साथ भाग रहे होते हैं, प्रथम तो कोई एक ही आता है, कई बार दौड़ में साथ चलने वाला गिर सकता है। उसको उठाने के चक्कर में पहली बात खुद उसके बराबर ही खड़े रह जाओगे। दूसरी बात तुम्हारा रूक जाना गिरने वाले को गलत संदेश देगा। वह यह नहीं सोचेगा कि तुम उसकी
फ़िक्र में रुक गये हो या तुम्हें उसकी फ़िक्र है। वह सोचेगा तुम उसके बिना चल ही नहीं पा रहे थे इसीलिये रुक गये हो। तो बहुत जरूरी है ज़िंदगी की दौड़ में निशाना मछली की आँख में लगे... दाँये-बाँये देखना या झुक जाना तो सोच लेना कि तुम्हारी ही पीठ पर पैर रखकर भागने वाले वही होंगें जिनके लिये तुम रुक गये थे।

सुनीता शानू 

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